राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"
झालावाड़।
भवानीमंडी, जिला-झालावाड़, राजस्थान
पिन- 326502
झालावाड़।
श्रीमद्भगवतगीता की अद्वितीय व्याख्या यथार्थ गीता मानव मात्र का धर्म शास्त्र है।भारत में प्रकट हुई गीता विश्व मनीषा की धरोहर है।भारत सरकार को चाहिए कि यथार्थ गीता को भारत का राष्ट्रीय धर्मशास्त्र घोषित कर दिया जाए।
यथार्थ गीता को राष्ट्रीय शास्त्र का मान देकर उंच नीच भेदभाव तथा कलह परम्परा से पीड़ित विश्व की सम्पूर्ण जनता को शांति देने के प्रयास की आज आवश्यकता है।यथार्थ गीता पढ़ने सर सुख शांति मिलती है साथ ही यह अक्षय अनामय पद भी देती है। यथार्थ गीता में ईश्वरीय साधना ईश्वर तक की दूरी तय करना कि सांगोपांग क्रमबद्ध विधि लिखी गई है। परमहंस आश्रम शक्तेशगढ़ उत्तर प्रदेश के परमहंस स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज द्वारा व्याख्या की गई इस यथार्थ गीता कृति का निशुल्क वितरण उज्जैन महाकुम्भ के अवसर पर लाखों भक्तों को किया गया।
सारे वेदों के प्राण उपनिषदों का भी सार है यथार्थ गीता। अशांत जीव को परमात्मा के दर्शन और साधना की स्थिति शाश्वत शांति की स्थिति तक पहुंचाने का कार्य सुगम तरीके से करती है यथार्थ गीता। यथार्थ गीता की इस टीका को विश्व में सबसे ज्यादा संख्या में लोग पढ़ रहे हैं। यथार्थ गीता एकतामूलक धर्मशास्त्र है। विश्व में भाईचारा व एकता यदि कोई धर्मशास्त्र स्थापित कर सकता है तो वह है यथार्थ गीता। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि चार वेद ब्रह्मसूत्र महाभारत भागवत एवम गीता जैसे ग्रंथों में पूर्व सिंचित भौतिक एवम आध्यात्मिक ज्ञान राशि को संकलित कर निर्णय दिया कि
गीता ही भली प्रकार मनन करने योग्य ह्रदय में धारण करने योग्य हैं।यथार्थ गीता उसी गीता की व्याख्या है जो भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख का सीधा प्रसारण है।
अतः शास्त्र एक है यथार्थ गीता यह निर्णय स्वयं भगवान ने दिया है। यथार्थ गीता की तीन आवर्तियाँ करना चाहिए। मनन करें। यह क्रियात्मक साधना है। 5200 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद गीता की इस व्याख्या को श्री काशी विद्वतपरिषद,विश्व धर्म संसद ने स्वीकारा। लेखक विश्व गुरु,भारत गौरव विश्व गौरव की उपाधियों से सम्मानित गीता भाषी हैं।
यथार्थ गीता बारह भारतीय भाषाओं में प्रकाशित है हिंदी मराठी पंजाबी गुजराती संसजृत उड़िया बंगला तमिल तेलगू मलयालम कन्नड़ भाषाओं में उपलब्ध है। साथ ही यथार्थ गीता विदेशी भाषाओं में भी प्रकाशित है अंग्रेजी जर्मन फ्रेंच नेपाली स्पेनिश नार्वेजियन चायनीज चेक इटालियन रूसी के साथ अनेक भाषाओं में उपलब्ध है। विश्व के सभी देशों में आज यथार्थ गीता पढ़ी जा रही है।
महाराज ने विपुल साहित्य लिखा है जिनमें यथार्थ गीता सबसे ज्यादा पसंद की जा रही है। हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना चाहते हैं उसे कर्मपथ पर चलना सीखाना चाहते हैं तो उसे बचपन से ही यथार्थ गीता पढ़ाने में लगाएं। कर्म धर्म यज्ञ जैसे प्रश्नों का सरल उत्तर देती है यथार्थ गीता। आज ईश्वर प्राप्ति के लिए महापुरुषों के मठ आश्रम तीर्थ मंदिर वहीं बना लेते है जहां वो महापुरुष एकांत भजन किया करते थे।
वहाँ भोग विलास के साधन इक्कठे करना शुरू कर देते हैं। फिर गद्दी के लिए झगड़े होते है।
जबकि धर्म तो सदा से ही प्रत्यक्षदर्शी महापुरुष के क्षेत्र की वस्तु रहा है। परामश्रेय व समृद्धि के संस्कारों का बीजारोपण करती है यथार्थ गीता । आज की भागदौड़ की जिंदगी में शांति सुख के लिए यथार्थ गीता प्रतिदिन पढ़ने की आवश्यकता है। 700 श्लोक की व्याख्या की गई है यथार्थ गीता में। वर्तमान में गीता की कई टीकाएँ है परंतु सभी अपनी सत्यता का उद्गघोष करती है।किंतु गीता के शुद्ध अर्थ से वह दूर है। कुछ लेखकों ने सत्य का स्पर्श कीट किंतु किन्ही कारणों से वे समाज के संजसग प्रस्तुत नहीं कर सके।
श्रीकृष्ण के आशय को ह्रदयंगम न कर पाने का मूल कारण यह था कि वे एक योगी थे। वे जिस स्तर की बात करते है उसे एक योगी ही समझ पायेगा। जिस समय भगवान कृष्ण ने उपदेश दिया उस समय उनके मनोगत भाव क्या है। यथार्थ गीता के लेखक के गुरुजी पूज्य महाराज उसी स्तर के महापुरुष थे उनकी वाणी तथा अंतःप्रेरणा से जो अर्थ मिला वही सब लिखा गया यथार्थ गीता में । यथा अर्थ अथार्थ जैसे का जैसा ही। इसलिए इस कृति का नाम यथार्थ गीता है। मानव धर्म शास्त्र यथार्थ गीता में विश्व में प्रचलित सम्पूर्ण धार्मिक विचारों के आदि उद्गम स्थल भारत के समस्त आध्यात्म औऱ आत्मस्थिति दिलाने वाली सम्पूर्ण शोध के साधनक्रम का स्पष्ट वर्णन इसमें है। जिसमें बताया कि ईश्वर एक पाने की क्रिया पथ में अनुकम्पा एक तथा परिणाम एक है। वह है प्रभु का दर्शन भगवत्स्वरूप की प्राप्ति और काल से अतीत अनंत जीवन।
आज यथार्थ गीता राष्ट्रपत जी ,प्रधानमंत्री जी समस्त सांसदों, मंत्रियों ,राज्यों के मुख्यमंत्रियों,विधायकों, समस्त सामाजिक व धार्मिक संघटनों ,संस्थाओं तक को भेंट की गई है। राजस्थान के सभी राजकीय विद्यालयों के पुस्तकालयों में यथार्थ गीता उपलब्ध है।
घर घर गीता, हर घर गीता
राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"
98,पुरोहित कुटी,श्रीराम कॉलोनी,भवानीमंडी, जिला-झालावाड़, राजस्थान
पिन- 326502
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