जाने कैसे बना देवी का भक्त शेर, आया था आहार बनाने बना लिया वाहन

शिव से क्रुद्ध होने से शुरू हुई कहानी
वैसे तो देवी के कई स्‍वरूप हैं, पर मूल रूप से वे सभी माता पार्वती के ही विभिन्‍न रूप या अंश हैं, वही माता पार्वती जो शिव जी की पत्‍नी हैं। एक बार भगवान शंकर ने उन्‍हें मजाक में काली कह दिया जिस पर वे रुष्‍ट हो गईं कि शिव उनके वर्ण का मजाक बना रहे हैं। नाराज हो कर वो वन में गहन तप करने चली गईं। उसी स्‍थान पर एक भूखा शेर भी था जिसे भोजन की तलाश थी। 
पार्वती का करना चाहा आखेट 
भूख से व्‍याकुल शेर ने जब तपस्‍यारत पार्वती को देखा तो सोचा की वो उन्‍हीं का शिकार करके अपनी भूख शांत करेगा। वो पार्वती जी का तप पूर्ण होने का इंतजार करने लगा ताकि उनका आखेट कर सके। ये तपस्‍या कई वर्श तक चली और शेर भी एक तरह से तपस्‍या रत हो कर वहीं बैठा रहा। 
प्रसन्‍न हुए शिव पार्वती 
पार्वती की तपस्‍या से भगवान शिव अत्‍यंत प्रसन्‍न हुए और वहां प्रकट हो कर उन्‍हें गौर वर्ण का आर्शिवाद भी दिया। जल में स्‍नान करके गोरी हुई पार्वती जब चलने को तैयार हुईं तब उन्‍होंने शेर को देखा और प्रतीक्षा का भी उन्‍हें ज्ञान हुआ। पार्वती जी ने इस प्रतीक्षा को एक कठिन प्रतीक्षा का दर्जा दिया और शेर पर अत्‍यंत प्रसन्‍न हुईं। कहते हैं कि तभी से पार्वती ने डनहें अपना वाहन बनने का आर्शिवाद दिया और दुर्गा के रूप में शेर उनका प्रिय वाहन बना। 

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